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2025/06/21

मेरा पिया घर आया, साथ में कुछ न लाया

 छीनी पाबंदी नवाबों ने मुंबई लोकल से वक़्त की,

रफ़्ता-रफ़्ता करके ट्रेन आई-आई, नवाबी भी।

शुक्र है ये चोरी पकड़ी न गई,
रही बनी मिट्टी एफआईआर में भी।

निभाए रिश्ता नवाबी मिट्टी,
बीबियों की जगह चढ़ाई कुत्तियाँ — हस्ती।

राह देख ट्रेन की, बारिशों ने ग़ुस्सा ढाया,
बरसाती मेढकों ने कानपुर पे कोहराम ढाया।

ट्रैक पे चलते-चलते लोगों ने से दिली तमन्ना को पाया,
दिखा के रेड सिग्नल अगले स्टेशन पर —
गुलाबी चाचा के गुज़ारिश पे हर कांग्रेसी बना गोवा का भाया।

ड्राइवर के केबिन से नवाबों का जत्था तशरीफ़ लाया,
गार्ड के केबिन्स से दौड़ के कुत्तों ने नवाबों को गले से लगाया।

कुत्तों ने आख़िर बँटे हुए सोनपरीयों के बिस्किट को खाया।

लोगों ने गोवा के हूरिकेन जनतंत्र का प्रेम रस पाया।


कुत्ता हरी का, लोमड़ी बन संसद-प्रसाद को भाया,

भारत रत्न पा के लोमड़ियों ने आर्यभूमि को सुंदर बिकिनी पहनाया।

भारती के लालों ने लोमड़ी की ट्रेनिंग का कोहिनूर पाया

प्रेम, वतन, राम, धन, शौर्य, सहज जीवन, कुटुंब, मर्यादा — पर्वतों को भाया।

मेरा पिया घर आया, साथ में कुछ न लाया

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